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Title: WCL - सुब्बई-चिंचोली प्रकल्पग्रस्त आंदोलनकारियों को पुलिस ने जबरन उठाया
Author: Aamacha Vidarbha
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BREAKING NEWS  WCL - सुब्बई-चिंचोली प्रकल्पग्रस्त आंदोलनकारियों को पुलिस ने जबरन उठाया प्रकल्पग्रस्तों ने रोक रखा था कोल डिस्पैच आंदोलन से व...
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  • WCL - सुब्बई-चिंचोली प्रकल्पग्रस्त आंदोलनकारियों को पुलिस ने जबरन उठाया
  • प्रकल्पग्रस्तों ने रोक रखा था कोल डिस्पैच
  • आंदोलन से वेकोलि को एक करोड़ का नुकसान होने का अंदेशा
  • देखें जबरन उठाते समय का व्हिडिओ - पढ़ें विस्तृत खबर....
आमचा विदर्भ - ब्यूरो रिपोर्ट्स
राजुरा -
वेकोलि सुब्बई-चिंचोली प्रकल्प पीडित किसानों ने नौकरी और मुआवजे की मांग के लिए पिछले 8 दिनों से बल्लारपुर क्षेत्रीय मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय के सामने धरना आंदोलन कर रहे थे. गरुवार की सुबह 9 बजे आंदोलनकारियों ने सास्ती 3 माइंस के गेट तथा गोवरी-पोवनी चेकपोस्ट पर पहुंचकर कोल डिस्पैच रोको आंदोलन शुरू किया. गुरुवार दिन भर शुरू रहा आंदोलन रात में भी शुरू था. आंदोलनकारी रात भर चेकपोस्ट पर ही डटे रहे. डिस्पैच बंद आंदोलन में बड़ी संख्या में प्रकल्प पीड़ित किसान और महिलाएं भी शामिल थीं.
इस आंदोलन की वजह से सड़क किनारे ट्रकों की कतार गुरुवार की सुबह से ही कोल डिस्पैच रोक दिए जाने की वजह से सड़क के दोनों ओर कोल परिवहन करने वाले वाहनों की लंबी कतार लग गई. जहां कोल लोडेड ट्रक बाहर नहीं निकल पा रहे थे, वहीं खाली ट्रक माइंस के भीतर लोडिंग के लिए भी नहीं जा पा रहे थे. इसकी वजह से मार्ग के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गईं. जो शाम होते-होते बाहर से आने वाले वाहनों की कतार और लंबी होती गई. कोल डिस्पैच रोके जाने से वेकोलि को एक ही दिन में करोडो का नुकसान वहन होने का अनुमान तब सही साबित हुवा जब वेकोलि सुरक्षा अधिकारी ने पुलिस में आंदोलनकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. वेकोलि सुरक्षा अधिकारी की शिकायत पर गोवरी-पोवनी चेकपोस्ट पर आंदोलन कर रहे प्रकल्पग्रस्तों को आज सुबह 6 बजे के आसपास पुलिस ने जबरन उठा दिया और उन्हें पुलिस स्टेशन ले आये. पुलिस ने प्रकल्पग्रस्तों को जबरन उठाने की खबर सास्ती चेकपोस्ट पर आंदोलन कर रहे प्रकल्पग्रस्तों को लगते ही उन्होंने पुलिस स्टेशन में डेरा जमा लिया जिससे तनाव की स्थिति निर्माण हो गई. मात्र पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर से सीएमडी के साथ इस सन्दर्भ में बातचीत के लिए 11 अथवा 13 अप्रैल को चर्चा हेतु बुलाने का आश्वासन मिलने पर आंदोलन को तब तक के लिए स्थगित करने का निर्णय प्रकल्पग्रस्तों ने लिया.
इधर वेकोलि सुरक्षा अधिकारी ने पुलिस में दी शिकायत में कहा की, चिंचोली रिकास्ट ओसी परीयोजना के प्रकल्पगस्तो द्वारा किये जा रहे आंदोलन से कोल डिस्पैच बंद हो जाने से वेकोलि को लगभग एक करोड़ रुपये का नुकसान हो चूका है और आगे भी इसी तरह डिस्पैच बंद रहने से और नुकसान होगा इसलिए प्रकल्पग्रस्त आंदोलनकारियों पर प्राथमिकी दर्ज करते हुए सास्ती तथा पोवनी चेकपोस्ट से हटाने की शिकायत की थी. शिकायत में कहा गया था की, आंदोलन में प्रकल्पग्रस्त रोशन गौरकार, अनिल रामभाउ लोखंडे, बापुजी भिकाजी झाडे, जनार्धन वसंता पुप्पलवार, तुळसीराम बापुजी चौधरी, संजय काले, वैभव वासेकर, संदीप निमकर, मार्कंडी बिल्ला आर, अल्का चौधरी, जया पुप्पलवार, पद्मा पुप्पलवार, भाग्यशीला अंगलवार, मनीषा बोरकुटे, मंगला नेवारे, पूजा मेकर्तीवार, सुरेखा सोमलकर तथा 40-50 लोग जिसमें 20-25 महिलाएं भी शामिल है. पुलिस ने सुरक्षा अधिकारी की शिकायत पर प्रकल्पग्रस्तों पर भादवी १८६० कलम 143, 147, 149, 341, 427 के तहत मामला दर्ज किया. इस संदर्भ में जानकारी मिलते ही शिवसेना राजुरा विधानसभा समन्वयक बबन उरकुडे, भाजपा के एड.इंजी. प्रशांत घरोटे ने प्रकल्पग्रस्तों से मुलाकात कर अपना समर्थन दिया.  

इससे पहले भी प्रकल्पग्रस्तों को बाहरी नेताओं से मिला था धोका
ज्ञात हो की, दिसंबर 2021 में जिले के एक नेता की अगुवाई में प्रकल्प पीड़ितों ने लगातार 31 दिनों तक नागपुर में आंदोलन किया. किंतु नेताओं ने प्रकल्पपीडितों को अंधेरे में रखकर वेकोलि के डिनोटिफिकेशन अधिसुचना को स्वीकृत कर लिया, जिससे मामला पेचीदा हो गया. यह जानकारी बाद में प्रकल्पपीड़ितों को मिली थी. 

वेकोलि कहती है, पर्याप्त मात्रा में नहीं है कोयला फिर किस आधार पर ली थी जमीन
सुब्बई चिंचोली फेज-2 माइंस में पर्याप्त मात्रा में कोल भंडार नहीं है. इस माइंस से निकलने वाले कोयले का कोई खरीददार नहीं मिलने की वजह से वेकोलि इस माइंस को शुरू नहीं कर सकी है. किंतु जब इस ओसी माइंस में पर्याप्त कोयले का भंडार नहीं था, तो उस समय पर सर्वे अधिकारियों ने कोल इंडिया के अधिकारियों को रिपोर्ट कैसे भेजी थी. जिससे इतने बड़े पैमाने पर किसानों की उपजाऊ भूमि का अधिग्रहण किया गया. तब प्रकल्पपीड़ितों को कहा गया था कि आप अपना सातबारा और एक करारनामा लेकर आए. जिसके बाद प्रकल्प पीड़ितों को 40 करोड़ रुपए मुआवजा और नौकरी मिलने वाली थी किंत वर्ष 2015 में कोल बेयरिंग एक्ट लागू होने के बाद माइंस डिनोटिफिकेशन हो गई. इस जगह शुरू होने वाली माइंस को सुब्बई-चिंचोली फेज-2 नाम दे दिया. मात्र अब 205 प्रकल्प पीड़ितों का जीवन अधर में लटक गया है.

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